क्या सच में कीटनाशकों से फैल रहा है कैंसर?
सेहतराग टीम
उद्योग संगठनों और विशेषज्ञों ने उन दावों को खारिज किया है जिनमें पंजाब के मालवा क्षेत्र में कैंसर से होने वाली मौतों के लिए कीटनाशकों के उपयोग इकलौता कारण बताया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस खतरनाक बीमारी के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं।
पर्यावरण और कृषि केंद्र के साथ-साथ क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा चंडीगढ़ में आयोजित एक आउटरीच कार्यक्रम में प्रख्यात विषविज्ञानी और शोधकर्ताओं के एक दल ने ये जानकारी दी कि कैसे कई अन्य कारणों से कैंसर से मौतें हो रहीं हैं।
क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष (प्रौद्योगिकी समिति) अजीत कुमार ने कहा, ‘जब कीटनाशक का उपयोग बेहतर कृषि कामकाज (जीएपी) में होता है तो वे कोई स्वास्थ्य जोखिम पैदा नहीं करते। भारत में इस संबंध में एक मजबूत नियामक प्रणाली है।’
विष विज्ञानी तेजस प्रजापति ने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक-आर्थिक कारक कैंसर की दर और मृत्यु दर को प्रभावित करते हैं और भविष्य में यह एक बड़ी चुनौती बन जाएंगे। प्रजापति ने कहा, ‘कैंसर की दर, कैंसर के प्रकार और कैंसर की मृत्यु दर दुनिया भर में व्यापक रूप से भिन्न होती है। कम से कम पर्यावरण या जीवनशैली जोखिम ऐसे कारक हैं जो सभी कैंसर से होने वाली मौतों का 50 प्रतिशत हिस्सा हैं।’ उन्होंने कहा कि व्यापक तौर पर कैंसर से होने वाली मौतों के लिए तंबाकू सेवन सबसे प्रमुख कारण है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में, इन जोखिम कारकों को कम करने की रणनीतियों को तैयार करने से विश्व स्तर पर कैंसर के बोझ को कम करने की दिशा में बेहतर परिणाम मिलेगा।
लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के बलविंदर सिंह ने कहा कि कीटनाशक कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण अवयव है और मानव जाति और पर्यावरण के लाभ के लिए इसका विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
उन्होंने सुझाव दिया, ‘वैकल्पिक नियंत्रण उपायों को लागू करने के अलावा, जीएम फसलों के उपयोग से कीटनाशकों पर निर्भरता कम हो सकती है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि खाद्यान्न में रासायनिक अवशेषों की नियमित निगरानी को राष्ट्रीय प्राथमिकता दी जाए।’
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